आचार्य चतुसेन शास्त्री--वैशाली की नगरबधू-

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105 .युवराज स्वर्णसेन : वैशाली की नगरवधू स्वर्णसेन ने मद्य पीकर रिक्तमद्य-पात्र दासी की ओर बढ़ा दिया और अर्धनिमीलित नेत्रों से उसे घूरकर कहा - “ और दे! दासी पात्र हाथ ...

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